★ Offline App. आप स्वयं ही अपने से अपने को जानते हैं ।, अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः । अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च, मैं सब भूतों के हृदय में स्थित सबका आत्मा हूँ तथा संपूर्ण भूतों का आदि, मध्य और अंत भी मैं ही हूँ ।, वेदानां सामवेदोऽस्मि देवानामस्मि वासवः । इंद्रियाणां मनश्चास्मि भूतानामस्मि चेतना, मैं वेदों में सामवेद हूँ, देवों में इंद्र हूँ, इंद्रियों में मन हूँ और भूत प्राणियों की चेतना अर्थात् जीवन-शक्ति हूँ ।, रुद्राणां शङ्करश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम् । वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम्, मैं एकादश रुद्रों में शंकर हूँ और यक्ष तथा राक्षसों में धन का स्वामी कुबेर हूँ। मैं आठ वसुओं में अग्नि हूँ और शिखरवाले पर्वतों में सुमेरु पर्वत हूँ ।, न कर्तृत्वं न कर्माणि लोकस्य सृजति प्रभुः । न कर्मफलसंयोगं स्वभावस्तु प्रवर्तते, परमेश्वर मनुष्यों के न तो कर्तापन की, न कर्मों की और न कर्मफल के संयोग की रचना करते हैं, किन्तु स्वभाव ही बर्त रहा है ।, महर्षीणां भृगुरहं गिरामस्म्येकमक्षरम् । यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि स्थावराणां हिमालयः, मैं महर्षियों में भृगु और शब्दों में एक अक्षर अर्थात् ओंकार हूँ। सब प्रकार के यज्ञों में जपयज्ञ और स्थिर रहने वालों में हिमालय पहाड़ हूँ ।, पवनः पवतामस्मि रामः शस्त्रभृतामहम् । झषाणां मकरश्चास्मि स्रोतसामस्मि जाह्नवी. ब्रह्मा के भी आदिकर्ता और सबसे बड़े आपके लिए वे कैसे नमस्कार न करें क्योंकि हे अनन्त! 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It is a verse by verse translation of the 700 verses, or 699, depending on how you count them, of the Bhagavad Gita, with the Sanskrit shlokas (verses) on one page and the English translation on the facing page. जो दुःखरूप संसार के संयोग से रहित है तथा जिसका नाम योग है, उसको जानना चाहिए। वह योग न उकताए हुए अर्थात धैर्य और उत्साहयुक्त चित्त से निश्चयपूर्वक करना कर्तव्य है ।, यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ्क्षति। शुभाशुभपरित्यागी भक्तिमान्यः स मे प्रियः. Each shloka (verse) is explained in detail. This world is full of attractions and who do not addicted to these got the real peace in life. It is considered by many to be one of the world's greatest religious and spiritual scriptures. जो न कभी हर्षित होता है, न द्वेष करता है, न शोक करता है, न कामना करता है तथा जो शुभ और अशुभ सम्पूर्ण कर्मों का त्यागी है- वह भक्तियुक्त पुरुष मुझको प्रिय है ।, यस्त्वात्मरतिरेव स्यादात्मतृप्तश्च मानवः । आत्मन्येव च सन्तुष्टस्तस्य कार्यं न विद्यते. Bhagavad Gita As It Is MP3 Audio Musical Performance 700 Sanskrit Slokas and Telugu Verses online at low price in India on Amazon.in. जो पुरुष अंतकाल में भी मुझको ही स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग कर जाता है, वह मेरे साक्षात स्वरूप को प्राप्त होता है- इसमें कुछ भी संशय नहीं है ।, नाश्चर्यमिदं विश्वं न किंचिदिति निश्चयी। निर्वासनः स्फूर्तिमात्रो न किंचिदिव शाम्यति. Interpretation: It does not mean that God has a proud instead it means that God is something like the hearing power in the ears, the light in the Sun, the seeing power in the eyes, the happiness in the life, the solution of the disputes, spirituality in the sciences for mankind etc. The Bhagavad Gita appears as an episode of Mahabharata, the great Sanskrit epic portraying the history of the ancient world. These files are not to be copied or reposted for promotion of any website or individuals or for commercial purpose without permission. (for other languages: Sanskrit, English, Hindi, Spanish, French, Gujarati, Arabic) In the Bhagavad Gita (the Song of the Lord) Krishna comforts and advises his troubled disciple Arjuna by telling him about three paths. They are the path of action, the path of devotion, and the path of knowledge. Bhagavad-Gita:Chapters in Sanskrit BGALLCOLOR.pdf (All 18 chapters in Sanskrit, Transliteration, and Translation.) Kindly comment if you have liked it. Shree Bhagavad Geeta is a part of the epic Mahabharata with 18 chapters and 700 verse/shlokas (पद्य) and dated to the second century BCE. The person who never excuses in life is the most favourate to the God. Gib oben im Suchfeld ein, "Bhagavad Gita", und dann findest du sehr viele Informationen über die Bhagavad Gita. निःसंदेह कोई भी मनुष्य किसी भी काल में क्षणमात्र भी बिना कर्म किए नहीं रहता क्योंकि सारा मनुष्य समुदाय प्रकृति जनित गुणों द्वारा परवश हुआ कर्म करने के लिए बाध्य किया जाता है ।, कर्मेन्द्रियाणि संयम्य य आस्ते मनसा स्मरन् । इन्द्रियार्थान्विमूढात्मा मिथ्याचारः स उच्यते. See more ideas about sanskrit quotes, sanskrit mantra, vedic mantras. Hence, these were the popular slokas of Bhagavad Gita in Sanskrit with meanings that you have read above. Bhagavad Gita (435) General (12) Haasyam (99) Hathayoga Pradipika (67) Mantras Shlokas (224) News Paper (1) Nyayavali (317) Raghuvamsa (19) Songs (27) Stories (90) Subhashitams (258) Uncategorized (2) Students, including Muslims of Vivekanand Sanskrit Higher Secondary School in Wazirganj of Gonda district, not only recite Sanskrit hymns with impeccable pronunciation but also sing ‘shloka’ from the Bhagavad Gita with remarkable clarity. जो मुझको अजन्मा अर्थात् वास्तव में जन्मरहित, अनादि (अनादि उसको कहते हैं जो आदि रहित हो एवं सबका कारण हो) और लोकों का महान् ईश्वर तत्त्व से जानता है, वह मनुष्यों में ज्ञानवान् पुरुष संपूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है ।, न कर्मणामनारंभान्नैष्कर्म्यं पुरुषोऽश्नुते । न च सन्न्यसनादेव सिद्धिं समधिगच्छति. हे जगत् के स्वामी! ABC of sp How Six Sigma Paves your Way Towards Success in Business? आपके ज्ञान, ऐश्वर्य, शक्ति, बल और तेज से युक्त ऐश्वर्य-रूप को मैं प्रत्यक्ष देखना चाहता हूँ ।, चिन्तया जायते दुःखं नान्यथेहेति निश्चयी। तया हीनः सुखी शान्तः सर्वत्र गलितस्पृहः, चिंता से ही दुःख उत्पन्न होते हैं किसी अन्य कारण से नहीं, ऐसा निश्चित रूप से जानने वाला, चिंता से रहित होकर सुखी, शांत और सभी इच्छाओं से मुक्त हो जाता है ।, आपदः संपदः काले दैवादेवेति निश्चयी। तृप्तः स्वस्थेन्द्रियो नित्यं न वान्छति न शोचति, संपत्ति (सुख) और विपत्ति (दुःख) का समय प्रारब्धवश (पूर्व कृत कर्मों के अनुसार) है, ऐसा निश्चित रूप से जानने वाला संतोष और निरंतर संयमित इन्द्रियों से युक्त हो जाता है। वह न इच्छा करता है और न शोक ।, सर्वद्वारेषु देहेऽस्मिन्प्रकाश उपजायते । ज्ञानं यदा तदा विद्याद्विवृद्धं सत्त्वमित्युत, जिस समय इस देह में तथा अन्तःकरण और इन्द्रियों में चेतनता और विवेक शक्ति उत्पन्न होती है, उस समय ऐसा जानना चाहिए कि सत्त्वगुण बढ़ा है ।, यदा सत्त्वे प्रवृद्धे तु प्रलयं याति देहभृत् । तदोत्तमविदां लोकानमलान्प्रतिपद्यते, जब यह मनुष्य सत्त्वगुण की वृद्धि में मृत्यु को प्राप्त होता है, तब तो उत्तम कर्म करने वालों के निर्मल दिव्य स्वर्गादि लोकों को प्राप्त होता है ।, बुद्धिर्ज्ञानमसम्मोहः क्षमा सत्यं दमः शमः । सुखं दुःखं भवोऽभावो भयं चाभयमेव च ॥ अहिंसा समता तुष्टिस्तपो दानं यशोऽयशः । भवन्ति भावा भूतानां मत्त एव पृथग्विधाः, निश्चय करने की शक्ति, यथार्थ ज्ञान, असम्मूढ़ता, क्षमा, सत्य, इंद्रियों का वश में करना, मन का निग्रह तथा सुख-दुःख, उत्पत्ति-प्रलय और भय-अभय तथा अहिंसा, समता, संतोष तप (स्वधर्म के आचरण से इंद्रियादि को तपाकर शुद्ध करने का नाम तप है), दान, कीर्ति और अपकीर्ति- ऐसे ये प्राणियों के नाना प्रकार के भाव मुझसे ही होते हैं ।, कर्मणः सुकृतस्याहुः सात्त्विकं निर्मलं फलम् । रजसस्तु फलं दुःखमज्ञानं तमसः फलम्, श्रेष्ठ कर्म का तो सात्त्विक अर्थात् सुख, ज्ञान और वैराग्यादि निर्मल फल कहा है, राजस कर्म का फल दुःख एवं तामस कर्म का फल अज्ञान कहा है ।, यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः । स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते, श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण करता है, अन्य पुरुष भी वैसा-वैसा ही आचरण करते हैं। वह जो कुछ प्रमाण कर देता है, समस्त मनुष्य-समुदाय उसी के अनुसार बरतने लग जाता है (यहाँ क्रिया में एकवचन है, परन्तु ‘लोक’ शब्द समुदायवाचक होने से भाषा में बहुवचन की क्रिया लिखी गई है।, मानापमानयोस्तुल्यस्तुल्यो मित्रारिपक्षयोः । सर्वारम्भपरित्यागी गुणातीतः सा उच्यते, जो मान और अपमान में सम है, मित्र और वैरी के पक्ष में भी सम है एवं सम्पूर्ण आरम्भों में कर्तापन के अभिमान से रहित है, वह पुरुष गुणातीत कहा जाता हैूँ ।, यत्साङ्ख्यैः प्राप्यते स्थानं तद्यौगैरपि गम्यते । एकं साङ्ख्यं च योगं च यः पश्यति स पश्यति, ज्ञान योगियों द्वारा जो परमधाम प्राप्त किया जाता है, कर्मयोगियों द्वारा भी वही प्राप्त किया जाता है। इसलिए जो पुरुष ज्ञानयोग और कर्मयोग को फलरूप में एक देखता है, वही यथार्थ देखता है ।, नादत्ते कस्यचित्पापं न चैव सुकृतं विभुः । अज्ञानेनावृतं ज्ञानं तेन मुह्यन्ति जन्तवः, सर्वव्यापी परमेश्वर भी न किसी के पाप कर्म को और न किसी के शुभकर्म को ही ग्रहण करता है, किन्तु अज्ञान द्वारा ज्ञान ढँका हुआ है, उसी से सब अज्ञानी मनुष्य मोहित हो रहे हैं ।, तद्बुद्धयस्तदात्मानस्तन्निष्ठास्तत्परायणाः । गच्छन्त्यपुनरावृत्तिं ज्ञाननिर्धूतकल्मषाः, जिनका मन तद्रूप हो रहा है, जिनकी बुद्धि तद्रूप हो रही है और सच्चिदानन्दघन परमात्मा में ही जिनकी निरंतर एकीभाव से स्थिति है, ऐसे तत्परायण पुरुष ज्ञान द्वारा पापरहित होकर अपुनरावृत्ति को अर्थात परमगति को प्राप्त होते हैं ।, शक्नोतीहैव यः सोढुं प्राक्शरीरविमोक्षणात् । कामक्रोधोद्भवं वेगं स युक्तः स सुखी नरः, जो साधक इस मनुष्य शरीर में, शरीर का नाश होने से पहले-पहले ही काम-क्रोध से उत्पन्न होने वाले वेग को सहन करने में समर्थ हो जाता है, वही पुरुष योगी है और वही सुखी है ।, लभन्ते ब्रह्मनिर्वाणमृषयः क्षीणकल्मषाः । छिन्नद्वैधा यतात्मानः सर्वभूतहिते रताः, जिनके सब पाप नष्ट हो गए हैं, जिनके सब संशय ज्ञान द्वारा निवृत्त हो गए हैं, जो सम्पूर्ण प्राणियों के हित में रत हैं और जिनका जीता हुआ मन निश्चलभाव से परमात्मा में स्थित है, वे ब्रह्मवेत्ता पुरुष शांत ब्रह्म को प्राप्त होते हैं ।, स्वयमेवात्मनात्मानं वेत्थ त्वं पुरुषोत्तम । भूतभावन भूतेश देवदेव जगत्पते, हे भूतों को उत्पन्न करने वाले! 17 Oct 2012 Leave a comment. जिस काल में न तो इन्द्रियों के भोगों में और न कर्मों में ही आसक्त होता है, उस काल में सर्वसंकल्पों का त्यागी पुरुष योगारूढ़ कहा जाता है ।, तं विद्याद् दुःखसंयोगवियोगं योगसञ्ज्ञितम्। स निश्चयेन योक्तव्यो योगोऽनिर्विण्णचेतसा. Shrimad Bhagavad Gita - Chapter 1 - Shloka 23 https://youtu.be/Kg_JB21_wRc ब्रह्मा के भी आदिकर्ता और सबसे बड़े आपके लिए वे कैसे नमस्कार न करें क्योंकि हे अनन्त! Interpretation: The God is the good side of anything like the purity of mind is God, the feeling of kindness for a poor person/animal, so if someone starts feeling all these feelings and never hurt anything is life then he/she surely got free from any kind of sins. See more ideas about bhagavad gita, gita quotes, sanskrit quotes. The Sloka for the day is chosen on a random basis. Shrimad Bhagavad Gita Shloka in Sanskrit. NOW AVAILABLE on CD with Sanskrit, transliteration & translation. Who know the real meaning of God knows the real meaning of life. Each shloka (verse) is explained in detail. मनुष्य न तो कर्मों का आरंभ किए बिना निष्कर्मता (जिस अवस्था को प्राप्त हुए पुरुष के कर्म अकर्म हो जाते हैं अर्थात फल उत्पन्न नहीं कर सकते, उस अवस्था का नाम ‘निष्कर्मता’ है । को यानी योगनिष्ठा को प्राप्त होता है और न कर्मों के केवल त्यागमात्र से सिद्धि यानी सांख्यनिष्ठा को ही प्राप्त होता है ।, एतां विभूतिं योगं च मम यो वेत्ति तत्त्वतः । सोऽविकम्पेन योगेन युज्यते नात्र संशयः. Srimad Bhagavad Gita is a 700-verse Sanskrit scripture which is part of the Mahabharata, one of the major Sanskrit epics of ancient India. Bhagavad Gita was spoken by Lord Krishna to Arjuna about 5000 years ago at the onset of the great war of Kurukshetra and their discussion is considered to be one of the most celebrated philosophical and religious dialogues known to man. It is considered by many to be one of the world's greatest religious and spiritual scriptures. अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः ।अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च ॥10.20॥, भावार्थ :मैं सब भूतों के हृदय में स्थित सबका आत्मा हूँ तथा संपूर्ण भूतों का आदि, मध्य और अंत भी मैं ही हूँ ।, वेदानां सामवेदोऽस्मि देवानामस्मि वासवः ।इंद्रियाणां मनश्चास्मि भूतानामस्मि चेतना ॥10.22॥, भावार्थ :मैं वेदों में सामवेद हूँ, देवों में इंद्र हूँ, इंद्रियों में मन हूँ और भूत प्राणियों की चेतना अर्थात् जीवन-शक्ति हूँ ।, रुद्राणां शङ्करश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम् ।वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम् ॥10.23॥, भावार्थ :मैं एकादश रुद्रों में शंकर हूँ और यक्ष तथा राक्षसों में धन का स्वामी कुबेर हूँ। मैं आठ वसुओं में अग्नि हूँ और शिखरवाले पर्वतों में सुमेरु पर्वत हूँ ।, महर्षीणां भृगुरहं गिरामस्म्येकमक्षरम् । यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि स्थावराणां हिमालयः ॥10.25॥, भावार्थ :मैं महर्षियों में भृगु और शब्दों में एक अक्षर अर्थात् ओंकार हूँ। सब प्रकार के यज्ञों में जपयज्ञ और स्थिर रहने वालों में हिमालय पहाड़ हूँ ।, पवनः पवतामस्मि रामः शस्त्रभृतामहम् ।झषाणां मकरश्चास्मि स्रोतसामस्मि जाह्नवी॥10.31॥, भावार्थ :मैं पवित्र करने वालों में वायु और शस्त्रधारियों में श्रीराम हूँ तथा मछलियों में मगर हूँ और नदियों में श्री भागीरथी गंगाजी हूँ ।, सर्गाणामादिरन्तश्च मध्यं चैवाहमर्जुन ।अध्यात्मविद्या विद्यानां वादः प्रवदतामहम् ॥10.32॥, भावार्थ :सृष्टियों का आदि और अंत तथा मध्य भी मैं ही हूँ। मैं विद्याओं में अध्यात्मविद्या अर्थात् ब्रह्मविद्या और परस्पर विवाद करने वालों का तत्व-निर्णय के लिए किया जाने वाला वाद हूँ ।, Bhagavad gita shloka in sanskrit with meaning in hindi, Bhagavad gita quotes in sanskrit with hindi translation, slokas of bhagavad gita in sanskrit with meanings, Bhagavad gita slokas with meaning in hindi, Bhagavad gita slokas in sanskrit with meaning in hindi pdf, Stationery/Writing Material Names in Sanskrit, Sanskrit Essay on Uttarakhand (उत्तराखण्डराज्यम्), Happy New Year 2020 Wishes,Quotes and SMS in Sanskrit. आप किन-किन भावों में मेरे द्वारा चिंतन करने योग्य हैं? I have just read the masterly ‘The Bhagavad Gita for Millennials’ by Sh. The verse gives four instructions regarding the science of work: 1) Do your duty, but do not concern yourself with the results. Be fearless – Soul is neither born nor does it ever die: Be fearless my friend. It is considered by many to be one of the world's greatest religious and spiritual scriptures. Slokas of Bhagavad Gita in Sanskrit with Meanings, An Ultimate Guide to Self-Care with CBD Products, Biking After-Effects: Ten Ruling Benefits | Bike Scooter City. The table on the right gives the number of slokas in each chapter. 10 Tattoo Ideas Inspired By Shlokas From Bhagavad Gita. Darauf hat er sich vorbereitet. An introduction to the Bhagavad Gita along with study resources can also be found here. . Shloka or śloka is a poetic form used in Sanskrit, the classical language of India. An illustration of a magnifying glass. BG 1.1: Dhritarashtra said: O Sanjay, after gathering on the holy field of Kurukshetra, and desiring to fight, … Commentary: The two armies had gathered on the battlefield of Kurukshetra, well prepared to fight a war that was inevitable. Die Bhagavad Gita beginnt mit dem ethischen Dilemma von Arjuna. The chapters on Sankhya and Karma Yoga convey the core message of the Gita through 115 inspired verses (shloka), each one आप स्वयं ही अपने से अपने को जानते हैं ।, कथं विद्यामहं योगिंस्त्वां सदा परिचिन्तयन् ।केषु केषु च भावेषु चिन्त्योऽसि भगवन्मया ॥10.17॥. Never think about the results just keep doing the real work in life because without doing work nothing can be achieved. सृष्टियों का आदि और अंत तथा मध्य भी मैं ही हूँ। मैं विद्याओं में अध्यात्मविद्या अर्थात् ब्रह्मविद्या और परस्पर विवाद करने वालों का तत्व-निर्णय के लिए किया जाने वाला वाद हूँ ।, कस्माच्च ते न नमेरन्महात्मन् गरीयसे ब्रह्मणोऽप्यादिकर्त्रे। अनन्त देवेश जगन्निवास त्वमक्षरं सदसत्तत्परं यत्. I am the spirituality in the sciences and the solution of all kind of disputes. Dec 12, 2020 - Most influential slokas from shrimad bhagvad gita. Arise, awake, and stop not till the goal is reached Atmano mokshartham jagat hitaya cha Bahujana sukhaya bahujana hitaya cha. Below is the collection of Sanskrit Verses from Dhyana Yoga (Chapter 6) of Bhagavad Gita with english translation. हे देवेश! Required fields are marked *. Home --> Gita Reference --> Gita for the Day Bhagavadgita. हे जगन्निवास! The Bhagavad Gita (/ ˌ b ʌ ɡ ə v ə d ˈ ɡ iː t ɑː,-t ə /; Sanskrit: भगवद् गीता, IAST: bhagavad-gītā /b ɦ ɐɡɐʋɐd ɡiːtäː/, lit. Now you can listen to the ancient sanskrit chants of Bhagavad Gita, sung in classical melodies by noted devotional singer Sri Vidyabhushana. जो सत्, असत् और उनसे परे अक्षर अर्थात सच्चिदानन्दघन ब्रह्म है, वह आप ही हैं ।, कर्मेन्द्रियाणि संयम्य य आस्ते मनसा स्मरन् । इन्द्रियार्थान्विमूढात्मा मिथ्याचारः स उच्यते ॥3.6॥, भावार्थ :जो मूढ़ बुद्धि मनुष्य समस्त इन्द्रियों को हठपूर्वक ऊपर से रोककर मन से उन इन्द्रियों के विषयों का चिन्तन करता रहता है, वह मिथ्याचारी अर्थात दम्भी कहा जाता है ।, यो मामजमनादिं च वेत्ति लोकमहेश्वरम् । असम्मूढः स मर्त्येषु सर्वपापैः प्रमुच्यते ॥10.3॥, भावार्थ :जो मुझको अजन्मा अर्थात् वास्तव में जन्मरहित, अनादि (अनादि उसको कहते हैं जो आदि रहित हो एवं सबका कारण हो) और लोकों का महान् ईश्वर तत्त्व से जानता है, वह मनुष्यों में ज्ञानवान् पुरुष संपूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है ।, न कर्मणामनारंभान्नैष्कर्म्यं पुरुषोऽश्नुते । न च सन्न्यसनादेव सिद्धिं समधिगच्छति ॥3.4॥, भावार्थ :मनुष्य न तो कर्मों का आरंभ किए बिना निष्कर्मता (जिस अवस्था को प्राप्त हुए पुरुष के कर्म अकर्म हो जाते हैं अर्थात फल उत्पन्न नहीं कर सकते, उस अवस्था का नाम ‘निष्कर्मता’ है । को यानी योगनिष्ठा को प्राप्त होता है और न कर्मों के केवल त्यागमात्र से सिद्धि यानी सांख्यनिष्ठा को ही प्राप्त होता है ।, एतां विभूतिं योगं च मम यो वेत्ति तत्त्वतः । सोऽविकम्पेन योगेन युज्यते नात्र संशयः ॥10.7॥, भावार्थ :जो पुरुष मेरी इस परमैश्वर्यरूप विभूति को और योगशक्ति को तत्त्व से जानता है (जो कुछ दृश्यमात्र संसार है वह सब भगवान की माया है और एक वासुदेव भगवान ही सर्वत्र परिपूर्ण है, यह जानना ही तत्व से जानना है), वह निश्चल भक्तियोग से युक्त हो जाता है- इसमें कुछ भी संशय नहीं है ।, अंतकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम् । यः प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशयः ॥8.5॥, भावार्थ :जो पुरुष अंतकाल में भी मुझको ही स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग कर जाता है, वह मेरे साक्षात स्वरूप को प्राप्त होता है- इसमें कुछ भी संशय नहीं है ।, नाश्चर्यमिदं विश्वं न किंचिदिति निश्चयी। निर्वासनः स्फूर्तिमात्रो न किंचिदिव शाम्यति ॥11-8॥, भावार्थ :अनेक आश्चर्यों से युक्त यह विश्व अस्तित्वहीन है, ऐसा निश्चित रूप से जानने वाला, इच्छा रहित और शुद्ध अस्तित्व हो जाता है। वह अपार शांति को प्राप्त करता है ।, नाहं देहो न मे देहो बोधोऽहमिति निश्चयी।कैवल्यं इव संप्राप्तो न स्मरत्यकृतं कृतम् ॥11-6॥, भावार्थ :न मैं यह शरीर हूँ और न यह शरीर मेरा है, मैं ज्ञानस्वरुप हूँ, ऐसा निश्चित रूप से जानने वाला जीवन मुक्ति को प्राप्त करता है। वह किये हुए (भूतकाल) और न किये हुए (भविष्य के) कर्मों का स्मरण नहीं करता है ।, एवमेतद्यथात्थ त्वमात्मानं परमेश्वर ।द्रष्टुमिच्छामि ते रूपमैश्वरं पुरुषोत्तम ॥11.3॥, भावार्थ :हे परमेश्वर! Lord Krishna explains the obstacles that one faces when trying to control their mind and working methods by which one can conquer their mind. Bhagavad Gita Slokas - Popular Slokas from the Bhagavad Gita with English Meaning. Follow your Dharma (the idea of what you ought to be and do), not to be confused with religion, the closest meaning of Dharma is the nature or tendency of something, for example, Dharma of water is to flow, to be colorless etc. The word Gita means song and the word. Download or Listen to Bhagavad Gita Class online for free based on teaching of Srila Prabhupada. आप अपने को जैसा कहते हैं, यह ठीक ऐसा ही है, परन्तु हे पुरुषोत्तम! Jan 1, 2021 - Explore Pradeep Kp's board "Bhagavad gita", followed by 1673 people on Pinterest. Bhagavad Gita - The Song of the Lord KrishnaEnglish & Hindi Translation with Sanskrit Text. Dec 12, 2020 - Most influential slokas from shrimad bhagvad gita. Bhagavad Gita – Sanskrit Audio www. The śloka is the verse-form generally used in the Bhagavad Gita, the Mahabharata, the Ramayana, the Puranas, Smritis, and scientific treatises of Hinduism such as Sushruta Samhita and Charaka Samhita. This is an extremely popular verse of the Bhagavad Gita, so much so that even most school children in India are familiar with it.It offers deep insight into the proper spirit of work and is often quoted whenever the topic of karm yog is discussed. हे पुरुषोत्तम! FEATURES ★ Bhagavad Gita Sloka Recitation by famous vaishnava devotee Her Grace Narayani Lakshmi Devi Dasi. It could be postulated that if everything physical such as actions, agent, agency, rewards, etc. 108 Imporant Slokas from the 1972 Bhagavad-gita As It Is. App made by www.iskcondesiretree.com. Ashtavakra Gita ; Avadhuta Gita; Kapila Gita; Sriram Gita; Sruti Gita; Uddhava Gita; ... Mool Shloka [ by Swami Brahmananda] English Translation of Shri Purohit Swami ... Hindi Translation By Swami Tejomayananda . Bhagavad Gita as it is by Swami Prabhupada has sold over 26 million copies so far & has become the largest-selling edition of the Gita in the world & the standard reference edition of the Gita worldwide. Please indicate the chapter and the sloka. Auf der einen Seite will er sich dafür einsetzen, ein tyrannisches Regime zu überwinden, welches das ganze Land in Elend gestürzt hat. Does it ever die: be fearless my friend Sanskrit verses from Dhyana (... ( Chapter 6 ) of Bhagavad Gita for the Day Bhagavadgita जैसा कहते हैं, यह ठीक ऐसा ही,! Spoke the Bhagavad Gita, sung in classical melodies by noted devotional singer Sri Vidyabhushana so! By many to be copied or reposted for promotion of any website or individuals for! Time maintain inner peace 6 ) of Bhagavad Gita यह ठीक ऐसा ही है, परन्तु हे!... An introduction to the God the default setting for the Sloka, the classical of... है, परन्तु हे पुरुषोत्तम or reposted for promotion of any website or individuals or commercial! Because without doing work nothing can be achieved obstacles that one faces when trying to their! च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम् । यः प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशयः verse ) is explained in detail Gita a!, spoke the Bhagavad Gita, sung in classical melodies by noted devotional singer Vidyabhushana! Path of knowledge promotion of any website or individuals or for commercial purpose permission! Gita beginnt mit dem ethischen Dilemma von arjuna Performance 700 Sanskrit Slokas and Telugu verses online low. Hindi translation with Sanskrit, transliteration & translation right work during the lifetime is called the of. में श्रीराम हूँ तथा मछलियों में मगर हूँ और नदियों में श्री भागीरथी गंगाजी हूँ । the feeling of for! Fearless – Soul is neither born nor does it ever die: be –... About life Class online for free based on teaching of Srila Prabhupada the Vedic anuṣṭubh metre, with! 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