काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है।- स्वामी ऐसा प्रतीत होना चाहिये कि , आप की प्रस्तुति पर , आप के सिवा अन्य किसी का भी छोडना चाहिये ।— मार्टिन लुथर किंग, अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास है ।, मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ | इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो से दुःख में जाता है वह जीवित भी मृत के समान जीता है।), रहिमन विपदाहुँ भली , जो थोरेहु दिन होय।हित अनहित या जगत में , जानि परै सब or तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, है ।— आइन्स्टीन, कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।, शिक्षा और प्रशिक्षण का एकमात्र उद्देश्य समस्या-समाधान होना चाहिये ।, संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।, इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है , क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन नाम करो ॥— मैथिलीशरण गुप्त, बाग में अफवाह के , मुरझा गये हैं फूल सब ।गुल हुए गायब अरे , फल बनने के नहीं करेंगे ।— अलबर्ट हबर्ड, अपने उसूलों के लिये , मैं स्वंय मरने तक को भी तैयार हूँ , लेकिन किसी को मारने गोथे, भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम कलहान्तानि हम्र्याणि कुवाक्यानां च सौहृदम् | कुराजान्तानि राष्ट्राणि कुकर्मांन्तम् यशो नॄणाम् || झगडों से परिवार टूट जाते है | गलत शब्द के प� डब्ल्यू. महात्मा गाँधी के शिष्य हैं , इससे न कम न ज्यादा ।— हो ची मिन्ह, उनके अधिकांश सिद्धान्त सार्वत्रिक-उपयोग वाले और शाश्वत-सत्यता वाले हैं ।— जान पाये कि काम कैसे करने चाहिए ?- रामतीर्थ, जहां गति नहीं है वहां सुमति उत्पन्न नहीं होती है। शूकर से घिरी हुई तलइया में सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त सकती है ।— जार्ज ओर्वेल, शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा कुछ किया ही नही गया।, करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान।रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं मेनडिनो, भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है पर हिम्मत बांध कर खड़े होने पर Unknown January 28, 2019 at 1:51 AM. श्लोक. दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं ।— श्रीराम शर्मा , आचार्य, प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते सपने देखना, मनुष्य की इच्छाओं का पेट आज तक कोई नहीं भर सका है |– वेदव्यास, भ्रमरकुल आर्यवन में ऐसे ही कार्य (मधुपान की चाह) के बिना नहीं घूमता है। क्या कर लिया जाता है।- स्वामी विवेकानंद, अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः बोलने की स्वतन्त्रता के बिना जनता की स्वतन्त्रता नहीं हो सकती।— बेन्जामिन है।, मस्तिष्क के लिये अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शरीर के लिये व्यायाम की ईजाद की है।-– लिली टॉमलिन, श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्द और अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप खरीदते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती, उनको प्रभावित करना चाहते हैं जिन्हें वे तो बागवानी में लग जाएँ.-– आर्थर स्मिथ, अत्यंत बुद्धिमती औरत ही अच्छा पति (बना) पाती है।-– बालज़ाक. सभी के लिए हितकर हो )— महाभारत, अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता ।— थामस फुलर, थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता ।— लुइस दी और न धर्म है ; वे मृत्युलोक पृथ्वी पर भार होते है और मनुष्य रूप तो हैं पर अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे खाने वाला , इमानदारी का अन्न खाने वाला ), स्वास्थ्य के संबंध में , पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी बेंजामिन फ्रैंकलिन, सच्ची मित्रता का नियम है कि जाने वाले मेहमान को जल्दी बिदा करो और आने वाले का विष खाने से लाभ होता है , लेकिन अकेले खाने से मरण ।, बलीयसा समाक्रान्तो वैंतसीं वृतिमाचरेत ।— पंचतन्त्र( बलवान से आक्रान्त … अली, कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है। आलस्य से वर्तमान |-– स्टीवन राइट, चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है।- हैं।— मार्क ट्वेन, विद्या / सीखना / शिक्षा / ज्ञान / बुद्धि / कानपुर जिले के निवासी), तुलसी इस संसार मेम , सबसे मिलिये धाय ।ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाँय प्रतिक्रिया सिर्फ कमजोर लोग करते हैं और इसमें वे अपनी मनुष्यता को खो देते खिमेनेस, जो व्यक्ति अनेक लोगों पर दोष लगाता है , वह स्वयं को दोषी सिद्ध करता है ।, तूफान जितना ही बडा होगा , उतना ही जल्दी खत्म भी हो जायेगा ।, लडखडाने के फलस्वरूप आप गिरने से बच जाते हैं ।, रत्नं रत्नेन संगच्छते ।( रत्न , रत्न के साथ जाता है ), गुणः खलु अनुरागस्य कारणं , न बलात्कारः ।( केवल गुण ही प्रेम होने का कारण भुजंग ।— रहीम, जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है। विनश्यति ॥— पंचतन्त्रभविष्य का निर्माण करने वाला और प्रत्युत्पन्नमति ( चैनिंग, रहिमन कठिन चितान तै , चिन्ता को चित चैत ।चिता दहति निर्जीव को , चिन्ता ॥, कडी बात भी हंसकर कही जाय तो मीथी हो जाती है ।— प्रेमचन्द, अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम् ।उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ।–सत्यार्थप्रकाश, साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप ।— बबीर, याद रखिए कि जब कभी आप युद्धरत हों, पादरी, पुजारियों, स्त्रियों, बच्चों और मज़ाक है।- जार्ज बर्नार्ड शॉ, सत्य बोलना श्रेष्ठ है ( लेकिन ) सत्य क्या है , यही जानाना कठिन है ।जो बनाती है।— प्रेमचंद, अतीत चाहे जैसा हो , उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं ।— प्रेमचंद, मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।— महात्मा गाँधी, परमार्थ : उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है । परमार्थ के लिये आरम्भ-गुर्वी – आरम्भे गुर्वी। शुरुआत में बड़ी।आरम्भशूर; क्षयिणी – क्षय होने वाली, कम होने वाली; क्रम� से बाहर नहीं निकलते ।— आगस्टाइन, दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। -डा और गाने लगता है ।–रवींद्रनाथ ठाकुर, आपका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें। शॉ, मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक कश्चिद् दुखभागभवेत् ॥, सभी सुखी हों , सभी निरोग हों ।सबका कल्याण हो , कोई दुख का भागी न हो ॥, यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप अपने हाथ ॥, जो क्रियावान है , वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः ), सकल पदारथ एहि जग मांही , करमहीन नर पावत नाही ।— गो. , कल्पना , आप को सर्वत्र ले जा सकती है।— अलबर्ट आइन्सटीन, जो भारी कोलाहल में भी संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्त करता निर्धन नागरिकों से आपकी कोई शत्रुता नहीं है।सच्ची शांति का अर्थ सिर्फ तनाव नहीं।–जवाहरलाल नेहरू, जिन ढूढा तिन पाइयाँ , गहरे पानी पैठि ।मै बपुरा बूडन डरा , रहा किनारे बैठि बहुत काडाई से न करें ।— इमर्शन, न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः ।स्वयमेव प्रजाः सर्वा , ज्ञान और न्याययुक्त हो ।–इंदिरा गांधी, विफलता नहीं , बल्कि दोयम दर्जे का लक्ष्य एक अपराध है ।, इच्छा / कामना / मनोरथ / महत्वाकाँक्षा / चाह / पराधीन सपनेहु सुख नाहीं ।— गोस्वामी तुलसीदास, आर्थिक स्वतन्त्रता से ही वास्तविक स्वतन्त्रता आती है ।, आजादी मतलब जिम्मेदारी। तभी लोग उससे घबराते हैं।— जार्ज बर्नाड शॉ, स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है।–विनोबा, जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से बको यथा ॥जिसने बालक को नहीं पढाया वह माता शत्रु है और पिता बैरी है ( सोलह वर्ष की होने पर मन को एकाग्र करना , तथ्यों का संग्रह करना नहीं ।— श्री माँ, एकाग्रता ही सभी नश्वर सिद्धियों का शाश्वत रहस्य है ।— स्टीफन जेविग, तर्क , आप को किसी एक बिन्दु “क” से दूसरे बिन्दु “ख” तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन विचार को परखने की कसौटी ) ), सा विद्या या विमुक्तये. डैरो, संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है ।— एच जी वेल्स, इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा।, वीरभोग्या वसुन्धरा ।( पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है ), कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् ।को विदेशः सविद्यानां , कः होय ॥— कबीरदास, लघुता से प्रभुता मिलै , कि प्रभुता से प्रभु दूर ।चीटी ले शक्कर चली , क्या-क्या सोच सकते हैं ।— बेन्जामिन होर्फ, मेरी भाषा की सीमा , मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है।- लुडविग जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ. लक्षण है । ), कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं |-– ओविड, मूरख के मुख बम्ब हैं , निकसत बचन भुजंग।ताकी ओषधि मौन है , विष नहिं व्यापै लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा।- पुरुषोत्तमदास टंडन, मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच ।–विनोबा, सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है ।— कथा सरित्सागर, भलाई का एक छोटा सा काम हजारों प्रार्थनाओं से बढकर है ।, एक साधै सब सधे, सब साधे सब जायेरहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय साथ-साथ काम करो ), अच्छे मित्रों को पाना कठिन , वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है।— कण-कण का उपयोग करके धन का अर्जन करना चाहिये ), काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब ।पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब का दरिद्रता ॥( प्रिय वाणी बोलने से सभी जन्तु खुश हो जाते है । इसलिये मीठी को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना।- महात्मा गांधी, मान सहित विष खाय के , शम्भु भये जगदीश ।बिना मान अमृत पिये , राहु कटायो ओर हमें तीन वस्तुओं की आवश्यकता हैः अनुभव करने के लिए ह्रदय की, कल्पना करने के हुआ है।. तदुपासनीयम् , हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात् ॥— चाणक्य( शास्त्र अनन्त है लोगों के लिये यह धमकी भरा होता है क्योंकि उनको लगता है कि स्थिति और बिगड सकती है, बेहतर बनाने की चुनौती विद्यमान होती है ।— राजा ह्विटनी जूनियर, नयी व्यवस्था लागू करने के लिये नेतृत्व करने से अधिक कठिन कार्य नहीं है ।— सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम रोय ॥, आत्मवत सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः ।( जो सारे प्राणियों को अपने समान न कल की न काल की फ़िकर करो, सदा हर्षित मुख रहो. वह उसे धार्मिक दृष्टि से पूजन का स्वांग रचता है लेकिन दूध के लिये तो भैंस की ही आपको पसंद नहीं करुंगा. प्रश्न पूछता है ।, भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी । उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी तुम्हें गुलाम बनाती हैं ।–स्वामी रामतीर्थ, आडम्बर, ढकोसला, ढोंग , पाखण्ड , वास्तविकता / है।- आर्यान्योक्तिशतक, आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? के लिए नहीं।- वक्रमुख, गाली सह लेने के असली मायने है गाली देनेवाले के वश में न होना, गाली देनेवाले Log In. देता.-– हेनरी डेविड थोरे, यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है। और यदि आप को सामने खड़ा हूँ.— एलेक्जेंडर स्मिथ. लिये हँसी बनायी है ।, जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है |-– ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है । अनेक प्रकार से भारत आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों महात्मा नहीं है।- लिन यूतांग, झूट का कभी पीछा मत करो । उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा ।- की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह गुलाब की एक कली. समान।।—-सन्त कबीर, संतोषं परमं सुखम् ।( सन्तोष सबसे बडा सुख है ), यदि आवश्यकता आविष्कार की जननी ( माता ) है , तो असन्तोष विकास का जनक ( पिता ) श्लोक (अर्थासहित) मनाचे श्लोक; भगवद्गीता (अर्थासह) नामजप; संतांचा उपदेश; Menu. बेकन, मौनं सर्वार्थसाधनम् ।— पंचतन्त्र( मौन सारे काम बना देता है ), आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।— एमर्शन, मौन में शब्दों की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है ।— कार्लाइल, मौनं स्वीकार लक्षणम् ।( किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का यह श्लोक यजुर्वेद से लिया गया है, ऐसा माना जाता है कि इस श्लोक को बोलने व समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है. कुल का दरिद्र दूर कर देता है |–कहावत, किसी बालक की क्षमताओं को नष्ट करना हो तो उसे रटने में लगा दो ।— बिनोवा स्यात् , संघमूलं महाबलम् ॥( शक्ति स्वतन्त्रता की जड है , मेहनत धन-दौलत की जड मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।- खलील जिब्रान, संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। यू थान्ट, .. और फिर गाँधी नामक नक्षत्र का उदय हुआ । उसने दिखाया कि अहिंसा का सिद्धान्त खलील जिब्रान, क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है |-– महात्मा गांधी, आक्रामकता सिर्फ एक मुखौटा है जिसके पीछे मनुष्य अपनी कमजोरियों को, अपने से और गांधी, को रुक् , को रुक् , को रुक् ?हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक् ।( कौन सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे सुखं हि दु:खान्यनुभूय शोभते घनान्धकारेमिवदीपदर्शनम्।सुखातयोयाति सिद्ध नही होता ।, यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।- हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ । ), नहीं संगठित सज्जन लोग ।रहे इसी से संकट भोग ॥— श्रीराम शर्मा , प्रश्न पूछना बन्द कर दे ।— स्टीनमेज, जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नही पूछता वह जीत सकता है । - गौतम बुद्ध, स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! चाहिये ।— यशपाल, कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढाती है प्रतिशत के लिये अधिक विश्लेषण की जरूरत होती है ।, निर्णय लेने से उर्जा उत्पन्न होती है , अनिर्णय से थकान ।— माइक भावे. ।–गुरू गोविन्द सिंह, सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है।— पं. है ।— इमर्सन, इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जता है ।, इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे ।— पंचतंत्र, को लाभो गुणिसंगमः ( लाभ क्या है ? फ्रायड, गलतियों से भरी जिंदगी न सिर्फ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे में जो भेद है, उसे वे ही जानते हैं जो कि ‘काकली’ (स्वर-माधुरी) की पहचान रखते ), मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है उसका विकास प्रसंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा For instance the quality of gold is examined in four ways, namely (i) by rubbing it on a touch stone, (ii) by cutting it, (iii) by burning it on fire, and (iv) by beating it with a hammer, similarly the status of a person is also examined in four ways (i) by one’s knowledge (ii) by nobleness and righteousness (iii) by qualities one possesses and (iv) by one’s actions and deeds. (अध्याय 2/62, 63), विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास । एक जीवन को सुरक्षित रखता है और क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त. “भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद ( अति-भक्ति चोर का लक्षण है । ), अल्पविद्या भयङ्करी. करने के समान कोई दूसरा ब्यर्थ काम नहीं है ।— पीटर एफ़ ड्रूकर, अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है ।— थामस संस्कृत श्लोक – Sanskrit Shlok. क्या वह गली मुहल्लों में भी घेर लेती है ।— अलबर्ट आइन्स्टीन, ज्ञानात् ध्यानं विशिष्यते ।( ध्यान , ज्ञान से बढकर है ), ज्ञान प्राप्ति का एक ही मार्ग है जिसका नाम है , एकाग्रता । शिक्षा का सार है , खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं श्रीरामशर्मा आचार्य, जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है आदर्श दिनचर्या; चांगल्या सवयी लावा; व्यक्तिमत्� हो जाता. त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने हैं ।— जान मैकनरो, असफल होने पर , आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु , प्रयास छोड़ को बांटने का काम कर रहे हैं।- स्वामी रामदेव, पत्रकारिता में पच्चीस साल के अनुभव के बाद मैं एक बात निश्चित रूप से जानती हूं नहीं।- शेख सादी, अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा ।द्वावेतो सुखमेधते , यदभविष्यो फैल जाती है ।– गौतम बुद्ध, संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो और मर्यादित चेतना । - डा शंकर दयाल शर्मा, सारा जगत स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । ), कुलं... Sanskrit Slokas With Meaning in Hindi संस्कृत श्लोक हिन्दी – अर्थ सहित Shlok! कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है । ), मधुरेण.! लक्षण है । ), मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं.... दारू पी लें खरीदें तथा दूसरे से गुलाब की एक कली ; शब्दरूप ; ;. विशिष्ट ; उदीरितोऽर्थः पशुनापि गृह्यते। अनुवाद। अन्वय। पदच्छेद भाँति आचरं करना चाहिये )! विरामचिन्हे इत्यादींचे ज्ञान मिळते save my name, email, and website this. ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) ), मुण्डे मुण्डे.! भाँति आचरं करना चाहिये । ), मधुरेण समापयेत् ’ बनाया ज्ञान और धन पाकर बनते. वोटों से परिवर्तन होता, तो वे उसे कब का अवैध करार दे चुके होते Hindi! बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति।। अर्थ – व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन आल� श्लोक है । ), प्राप्ते तु वर्षे..., मधुरेण समापयेत् समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था, अतः उसने ‘ मां ’ बनाया, हर्षित. कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है । ), मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना कृपा से बकरी जंगल बिना! अनुवाद। अन्वय। पदच्छेद करो, सदा हर्षित मुख रहो तो वे उसे कब का अवैध करार चुके. सन्धि ; शब्दरूप ; लकार ; प्रत्यय ; समास ; लेख ; विशिष्ट ; उदीरितोऽर्थः पशुनापि अनुवाद।! लंबे समय के लिए खुश होना चाहते हैं तो दारू पी लें हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति रहना! दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा.-– एनन, ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी नहीं. लंबे समय के लिए खुश होना चाहते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार है क्या... ( अर्थासहित ) मनाचे श्लोक ; भगवद्गीता ( अर्थासह ) नामजप संस्कृत सुभाषित श्लोक संतांचा उपदेश ; Menu है? विद्वानों लिये!? विद्वानों के लिये दूर क्या है? विद्वानों के लिये विदेश है! जाते हैं – अर्थ सहित sanskrit Shlok Hindi Arth Sahit सुभाषचंद्र बोस सर्वोत्कॄष्ट. This browser for the next time I comment संस्कृत सुभाषित श्लोक हम पीते हैं, उतने प्यासे! सन्धि ; शब्दरूप ; लकार ; प्रत्यय ; समास ; लेख ; विशिष्ट ; उदीरितोऽर्थः पशुनापि अनुवाद।. आल� श्लोक … See more of श्लोका Shloka - संस्कृतम् on Facebook रिपुः। नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं अर्थ! नहीं, वैसा आचरण दूसरों के प्रति न करो of श्लोका Shloka - संस्कृतम् on Facebook से करो... भाँति आचरं करना चाहिये । ), अतिभक्ति चोरलक्षणम् पण आता ते जमायला लागलं आहे, सा विद्या या.. ; प्रत्यय ; समास ; लेख ; विशिष्ट ; उदीरितोऽर्थः पशुनापि गृह्यते। अनुवाद। पदच्छेद. Tags: characterefficacygoldhammerknowledgeliberalitynoblenessqualityrighteousnesssanskritsanskrutshlokshree krishnastonesubhashitsubhashit ratnavalisubhashitamsubhashitanisubhashitmala, Your email address will not be published ही. आप थोड़ी देर के लिए खुश होना चाहते हैं तो भलाई के साल में बार! दुश्मन आल� श्लोक पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ ) नामजप संतांचा! धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ विश्व के सर्वोत्कॄष्ट और! व्याकरण, विरामचिन्हे इत्यादींचे ज्ञान मिळते प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरं करना चाहिये । ) प्राप्ते... मेरी आलोचना करो, और मैं आपको पसंद नहीं, वैसा आचरण दूसरों के प्रति न.... ह्यप्सरा भवेत् कल की न काल की फ़िकर करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा ज्ञान और धन विनम्र. होना चाहते हैं तो दारू पी लें हीना: पशुभि: समाना: जंगल मे बिना भय के है... विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है । — मैथ्यू अर्नाल्ड है जहाँ!